मर्यादा पुरुषोत्तम राम के विषय में कई कहानियाँ हैं जो हमें जीवन में प्रेरित करती हैं। एक प्रसिद्ध कथा है “रामायण” में, जिसमें राम अपने कर्तव्य का पालन करते हुए दिखाए गए हैं। राम ने हमेशा सत्य और धर्म का पालन किया और उन्होंने अपनी मर्यादा को कभी नहीं तोड़ा। उनकी यह मर्यादा पुरुषार्थी व्यक्तित्व हमें हमेशा प्रेरित करती है।
दशरथ के आदेश पर वनवास
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपने पिताजी दशरथ महाराज की आज्ञा का पालन करते हुए वनवास का त्याग किया और वन में चले गए। वहाँ उन्होंने कई कष्ट और परिश्रम भरे दिन देखे, परंतु उनका धैर्य और कर्तव्य भाव कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन में एक साधारण जीवन व्यतीत किया और सभी को प्रेरणा दी।
भक्त हनुमान का साथ
राम के प्रति उनकी भक्ति और उनकी सेवा में हनुमान का आदर्श स्थापित किया गया है। हनुमान ने अपनी भक्ति और साहस भरी कठोर तपस्या से भगवान राम की प्रसन्नता पाई और उनका समर्थन किया।
रावण के विनाश
राम ने लंका यात्रा में सीता का अपहरण होने के बाद भी सबसे पहले धर्म और कर्तव्य का पालन किया। उन्होंने अपने मित्र सुग्रीव की मदद से वानर सेना का सहयोग लिया और एक विशाल सेना के साथ लंका पर आक्रमण किया। इस युद्ध में उन्होंने अपने साहस और समर्थ का प्रदर्शन किया और धर्म को विजयी किया।
मर्यादा का पालन
मर्यादा पुरुषोत्तम राम के वचन और उनका व्यवहार हमेशा मर्यादा को ध्यान में रखते हुए किया गया। उनका उदाहरण हमें यह सिखाता है कि जीवन में समंता और मर्यादा का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। उनकी यह कथा हमें यह शिक्षा देती है कि हमेशा सत्य और धर्म की ओर चलना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज के हित में योगदान देना चाहिए।
समापन
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की इस अद्वितीय कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सत्य, धर्म और न्याय के प्रति स्थिर रहकर हम सभी जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समृद्ध और सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। राम की मर्यादा, उनका साहस और उनकी धैर्यशीलता हमें सच्ची प्रेरणा प्रदान करती हैं। इस कहानी के माध्यम से हमें धार्मिकता, नैतिकता और सही मार्ग का चयन करने की महत्वपूर्णता को समझाया जाता है।